नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दुष्प्रचार और फेक न्यूज के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। इसी क्रम में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके अलावा कई पाकिस्तानी पत्रकारों और यूट्यूबर्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी ब्लॉक किया गया है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई उन हैंडल्स के खिलाफ की गई है जो पहलगाम हमले के तुरंत बाद भारत-विरोधी फर्जी वीडियो और भ्रामक जानकारी फैला रहे थे। भारत सरकार का कहना है कि इन सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए देश में अफवाहें फैलाने और सुरक्षा बलों की छवि को धूमिल करने की कोशिशें की जा रही थीं।
ISPR और फेक नैरेटिव का खेल
पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR), जो वहां की सेना की मीडिया शाखा है, लंबे समय से सोशल मीडिया के जरिए नैरेटिव युद्ध छेड़े हुए है। ISPR पर आरोप है कि वह खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर फेक कंटेंट तैयार कर सोशल मीडिया पर वायरल करता है। इस कंटेंट का मकसद भारत के भीतर असंतोष फैलाना और सेना के मनोबल को प्रभावित करना होता है।
पहलगाम हमले के बाद ऐसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए, जिनमें झूठे दावे किए गए थे कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है और सेना निर्दोष लोगों को निशाना बना रही है। भारतीय एजेंसियों ने जब इन वीडियो की जांच की तो पाया कि ये जानबूझकर बनाए गए और इनका स्रोत पाकिस्तान में है।
पाकिस्तानी पत्रकार भी रडार पर
सरकार की इस कार्रवाई की जद में पाकिस्तान के कुछ जाने-माने पत्रकार भी आए हैं। उनके X अकाउंट्स को भारत में एक्सेस नहीं किया जा सकता। इनमें वो पत्रकार शामिल हैं जो ISPR से जुड़ी सूचनाएं भारत विरोधी स्वर में पेश करते रहे हैं। यह माना जा रहा है कि ये अकाउंट्स ‘नरम पत्रकारिता’ की आड़ में दुष्प्रचार फैला रहे थे।
यू-ट्यूब चैनल्स पर भी शिकंजा
सिर्फ ट्विटर या X ही नहीं, बल्कि यूट्यूब पर भी कार्रवाई की गई है। भारत सरकार ने दर्जनों पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को भारत में ब्लॉक कर दिया है। इनमें सना अमजद, आरजू काजमी और शोएब अख्तर जैसे लोकप्रिय नाम शामिल हैं, जिनके चैनलों पर भारत में लाखों सब्सक्राइबर्स थे। इन चैनलों के जरिए भारत में दर्शकों को आकर्षित कर विज्ञापन से कमाई की जा रही थी। अब इन पर बैन लगने से न केवल इनकी पहुंच घटेगी, बल्कि आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ेगा।
भारत सरकार का संदेश स्पष्ट
इस पूरी कार्रवाई से भारत सरकार ने यह साफ संदेश देने की कोशिश की है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और फेक न्यूज के खिलाफ वह किसी भी हद तक जा सकती है। सोशल मीडिया पर आजादी की आड़ में दुष्प्रचार की इजाज़त नहीं दी जाएगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
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