नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर जब्त की गई भारी मात्रा में हेरोइन के बीच जो कड़ी सामने आई है, उसने देश की सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि करीब 21,000 करोड़ रुपये मूल्य की जब्त की गई हेरोइन, पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी थी – एक ऐसा हमला जिसमें 27 लोगों की जान गई थी।
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि यह कोई सामान्य तस्करी का मामला नहीं, बल्कि भारत में आतंकवाद को फंड करने और देश की युवा पीढ़ी को नशे की गर्त में धकेलने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। अफगानिस्तान से आए इस नशीले जाल के तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और ईरानी बिचौलियों से जुड़े पाए गए हैं। यही नहीं, दिल्ली के नेब सराय और अलीपुर जैसे इलाकों में इन मादक पदार्थों को गोदामों में जमा किया गया और इनसे हुई कमाई लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों तक पहुंचाई गई।
सुप्रीम कोर्ट में बड़ा खुलासा
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ को बताया कि कैसे निर्दोष पर्यटकों पर गोलीबारी, ड्रग माफिया और आतंकी नेटवर्क के गठजोड़ का हिस्सा थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान से पहले भी तालक पाउडर के नाम पर हेरोइन भारत लाई जाती रही है।
कबीर तलवार पर भी आरोप
एनआईए ने अपने हलफनामे में कबीर तलवार को इस अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का अहम सदस्य बताया है। उस पर आरोप है कि उसने न केवल ड्रग्स की तस्करी में मदद की, बल्कि आतंकी गतिविधियों को आर्थिक सहायता पहुंचाने में भी भूमिका निभाई।
भारत में अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स जब्ती

एनआईए का दावा है कि यह भारत के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी हेरोइन की खेप है – करीब 2,988 किलोग्राम, जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 21,000 करोड़ रुपये है। इस नशीले पदार्थ को बेहद चालाकी से तालक पाउडर में छिपाकर भारत लाया गया था।
कठोर कार्रवाई की तैयारी
एनआईए ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि वह इस नेटवर्क की जड़ों तक जाकर कार्रवाई करेगी। यह मामला न केवल ड्रग्स के खिलाफ एक चेतावनी है, बल्कि देश की सुरक्षा पर मंडराते उस खतरनाक गठजोड़ की ओर भी इशारा करता है, जिसमें आतंक, तस्करी और अंतरराष्ट्रीय माफिया एक साथ मिलकर भारत की नींव को खोखला करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह सिर्फ नशे का मामला नहीं, यह भारत के भविष्य, उसकी सुरक्षा और सामाजिक संरचना पर सीधा हमला है। सवाल अब यह है कि क्या हम समय रहते इस जहर को रोक पाएंगे?
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