नई दिल्ली। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। यह हमला न केवल मानवीय दृष्टिकोण से बेहद दर्दनाक था, बल्कि यह भारत की आतंकरोधी नीति पर भी एक चुनौती बनकर सामने आया।
आज 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दो अहम बैठकें होने जा रही हैं- केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक और सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की विशेष बैठक। इन बैठकों को लेकर देश भर की नजरें दिल्ली पर टिकी हैं।
क्या हो सकता है आज का बड़ा फैसला?
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, आज की बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। पाकिस्तान से राजनयिक संबंधों को और सीमित करने, सीमा पर सैन्य कार्रवाई तेज़ करने या फिर आतंकवादियों के लॉन्चपैड्स को टारगेट करने जैसे कदमों पर चर्चा संभव है।
बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री ने जिस उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, उसमें उन्होंने सेना को ‘खुली छूट’ देने का ऐलान किया। पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा, “आतंकवाद पर करारा प्रहार हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। भारतीय सेनाओं को कार्रवाई की टाइमिंग, तरीके और लक्ष्य तय करने की पूरी आज़ादी दी जाती है।”
सेना हाई अलर्ट पर, LOC पर बढ़ी हलचल
हमले के बाद से नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। खबर है कि सेना की स्पेशल यूनिट्स ऑपरेशनल रेडीनेस मोड में हैं। ड्रोन और सैटेलाइट की मदद से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्ट्स और सैटेलाइट फुटेज से संकेत मिले हैं कि कुछ आतंकवादी लॉन्चपैड्स पर सक्रिय हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ या ‘एयर स्ट्राइक’ जैसे ठोस जवाब की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सियासी और कूटनीतिक स्तर पर भी जवाब तय
भारत पहले ही पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को घटाने, व्यापारिक संपर्क सीमित करने और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। 23 अप्रैल की CCS बैठक में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी।
नज़रें मोदी सरकार की नीति पर
बीते वर्षों में मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है। उरी और पुलवामा जैसे हमलों के बाद भारत ने पहली बार सैन्य प्रतिरोध की रणनीति को सार्वजनिक तौर पर लागू किया था। ऐसे में पहलगाम हमले को भी उसी दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।
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