जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। बेलखेडा थाना प्रभारी और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) द्वारा पीड़िता का नाम सार्वजनिक किए जाने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने डीजीपी कलेक्टर एसपी डीईओ और थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कैसे उजागर हुई पीड़िता की पहचान?
नगर कांग्रेस अध्यक्ष सौरभ नाटी शर्मा की ओर से दायर याचिका के अनुसार, बेलखेडा थाना क्षेत्र स्थित एक स्कूल में नाबालिग छात्रा के साथ शिक्षक ने दुष्कर्म किया था। पुलिस ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया, लेकिन इसके बाद थाना प्रभारी ने जांच के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी को एक पत्र भेजा जिसमें पीड़िता का नाम उजागर कर दिया गया।
थाना प्रभारी की इस चूक के बाद, जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने आरोपी शिक्षक को निलंबित कर दिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि डीईओ ने अपने निलंबन आदेश में भी पीड़िता की पहचान सार्वजनिक कर दी, जिससे मामला और गंभीर हो गया।
कानून में है सख्त प्रावधान
दुष्कर्म पीड़िता या नाबालिग की पहचान उजागर करना भारतीय कानून के तहत अपराध है। इस मामले में याचिका में बताया गया कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228-A और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट के तहत पीड़िता की पहचान जाहिर करना दंडनीय अपराध है जिसमें दो साल तक की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता ने मांग की कि दोषी अधिकारियों पर कानून के तहत मामला दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
हाईकोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी
मामले की सुनवाई जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने की। कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर नाराजगी जताई और डीजीपी, कलेक्टर, एसपी, डीईओ व बेलखेडा थाना प्रभारी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
सवालों के घेरे में प्रशासन
इस मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर पुलिस और शिक्षा विभाग को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, वहीं दूसरी ओर वे संवेदनशील मामलों में गोपनीयता बनाए रखने में विफल हो रहे हैं।
अब देखना होगा कि हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या दोषी अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।
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