पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचाने वाले “लैंड फॉर जॉब” मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई तेज कर दी है। मंगलवार को पटना स्थित ED दफ्तर में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे, पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव से लंबी पूछताछ की गई। जांच एजेंसी ने इस घोटाले से जुड़े कई अहम सवालों की लिस्ट तैयार की है, जिनका सामना लालू परिवार को करना पड़ रहा है।
राबड़ी देवी और तेजप्रताप से अलग-अलग कमरों में पूछताछ
सूत्रों के मुताबिक, ED की टीम ने राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव को अलग-अलग कमरों में बैठाकर सवाल-जवाब किए। उनसे पूछा गया कि-
- उनके नाम पर जो जमीन दर्ज है, वह कैसे हासिल की गई?
- जिन लोगों ने नौकरी के बदले जमीन दी, क्या वे पहले से उन्हें जानते थे?
- क्या इन लोगों की नियुक्ति में किसी तरह की सिफारिश की गई थी?
- जमीन के सौदे की प्रक्रिया क्या थी, और भुगतान कैसे हुआ?
गौरतलब है कि ED इस मामले में पहली बार तेजप्रताप यादव से पूछताछ कर रही थी, जबकि उनके छोटे भाई और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पहले ही लंबी पूछताछ हो चुकी है।
ईडी कार्यालय के बाहर समर्थकों की भीड़, कड़ी सुरक्षा
राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव से पूछताछ की खबर फैलते ही पटना स्थित ED कार्यालय के बाहर RJD समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई। वे नारेबाजी करने लगे और अपने नेताओं के समर्थन में प्रदर्शन करने लगे। स्थिति को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी और पूरे इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए।
लालू यादव से भी होगी पूछताछ!
सूत्रों के अनुसार, ED ने लालू प्रसाद यादव को भी बुधवार को तलब किया है। इससे पहले CBI ने इस मामले में लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कई अहम सबूत और गवाहों के बयान शामिल हैं।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ स्कैम?
लैंड फॉर जॉब घोटाले का मामला 2004-2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। CBI का आरोप है कि इस दौरान रेलवे में नौकरी देने के बदले गरीब उम्मीदवारों से बेहद कम कीमत पर जमीन ली गई। इस जमीन को लालू परिवार के विभिन्न सदस्यों और सहयोगियों के नाम ट्रांसफर किया गया।
CBI के मुताबिक-
- मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर जैसे रेलवे जोन में नियुक्तियां की गईं।
- बिहार में 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपये में हासिल कर ली गई, जबकि बाजार भाव 4.39 करोड़ रुपये था।
- अधिकतर मामलों में कैश में भुगतान किया गया, जिससे ट्रांजैक्शन को ट्रेस करना मुश्किल हो गया।
लालू परिवार के लिए बढ़ सकती हैं मुश्किलें?
CBI और ED की जांच के बाद अगर आरोप साबित होते हैं, तो लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। फिलहाल जांच एजेंसियां सभी दस्तावेजों और गवाहों के बयान खंगाल रही हैं।
बिहार की राजनीति में इस जांच का बड़ा असर पड़ सकता है। जहां RJD इसे ‘राजनीतिक साजिश’ बता रही है, वहीं भाजपा इस मुद्दे को लेकर लगातार हमलावर है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है।
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