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झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल: फर्जी डिग्रियों के सहारे 17 शिक्षक पढ़ा रहे थे बच्चों को, विभागीय जांच में हुआ खुलासा


दुमका। झारखंड के दुमका जिले से शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। गोपीकांदर प्रखंड के 17 शिक्षकों को फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोप में कार्यमुक्त कर दिया गया है। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा की गई विभागीय जांच में यह खुलासा हुआ कि इन शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न संस्थानों से प्राप्त फर्जी डिग्रियों के बल पर वर्षों से सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी।

जांच रिपोर्ट में जिन संस्थानों के प्रमाण पत्रों को अमान्य ठहराया गया है, उनमें प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान उत्तर प्रदेश, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग और हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद शामिल हैं। इन सभी संस्थानों से प्राप्त प्रमाण पत्रों को झारखंड सरकार की अधिसूचना के तहत अमान्य घोषित किया गया है।

विभागीय निर्देश के बाद तुरंत हुई कार्रवाई

जिला शिक्षा अधीक्षक सह अपर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जारी पत्र के अनुसार, इन 17 शिक्षकों को न केवल सेवा से मुक्त किया गया है, बल्कि उनका मानदेय भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। संबंधित प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों (BEEO) को एक सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि समय पर रिपोर्ट न भेजने की स्थिति में संबंधित बीईईओ के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

बीईईओ सुरेंद्र हेम्ब्रम ने की पुष्टि

गोपीकांदर प्रखंड के बीईईओ सुरेंद्र हेम्ब्रम ने पुष्टि की है कि जिला कार्यालय से प्राप्त निर्देश के बाद प्रखंड के सभी 17 शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इन शिक्षकों को जिला कार्यालय बुलाया गया है ताकि विभाग उनके खिलाफ आगे की कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई कर सके।

कार्यमुक्त शिक्षकों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. अश्विनी कुमार तिवारी (यूएमएस मोहुलडाबर)
  2. शोभा देवी (यूएमएस कुश्चिरा)
  3. आनंद मरांडी और अंसुता हेम्ब्रम (यूपीएस खटांगी)
  4. मदन बास्की और स्टीफन हेम्ब्रम (यूएमएस खाजुरडंगाल)
  5. जॉन किस्कू (यूपीएस आमझारी भुटू टोला)
  6. महेश्वर टूडू (यूपीएस कलाईपूरा कोसल टोला)
  7. सुनीता हेम्ब्रम (यूएमएस ओडमो)
  8. रामजतन हांसदा (यूएमएस अमझारी)
  9. बबलू देहरी (यूपीएस सिलंगी पहाड़)
  10. इलियास सोरेन (यूपीएस चिरुडीह)
  11. उकील मरांडी (यूएमएस ओडमो)
  12. कविता हांसदा (एनपीएस टेसाफूली)
  13. फुलमनी हेम्ब्रम (यूपीएस ओडमो जंगल टोला)
  14. डोली दुरसिला मरांडी (एनपीएस पिंडरगाड़िया)
  15. मगदालीना मुर्मू (यूपीएस गुमापहाड़ी)

जिला में यह कोई नई घटना नहीं

दुमका में इससे पहले भी विभिन्न प्रखंडों से फर्जी डिग्रियों पर नौकरी कर रहे कई शिक्षकों को कार्यमुक्त किया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे मामलों में कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन अब सबकी नजर इस पर है कि क्या दोषी शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें कानूनी दायरे में भी लाया जाएगा, या कार्रवाई केवल सेवा समाप्ति तक ही सीमित रहेगी।

शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल

फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे नियुक्त हुए शिक्षकों की मौजूदगी न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि नियुक्ति प्रक्रिया में निगरानी की कितनी कमी रही। अब आवश्यकता है कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई कर एक मिसाल पेश करे ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक इस तरह की धोखाधड़ी करने की हिम्मत न करे।

https://f24.in/dumka-teachers-fake-degrees

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