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बोकारो स्टील प्लांट पूरी तरह बंद, ₹200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान!

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Bokaro Steel Plant Shutdown Protest 2025

बोकारो विस्थापित अप्रेंटिस संघ के सदस्य प्रेम महतो की आंदोलन में हुई मौत और आंदोलनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के बाद बोकारो में हालात बेकाबू हो गए हैं। गुरुवार देर रात से आंदोलनकारी विस्थापितों ने बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के सभी मुख्य द्वारों को जाम कर दिया है, जिसके चलते पूरे संयंत्र की उत्पादन इकाइयां ठप हो गई हैं। इस बंदी से अब तक 200 करोड़ रुपए से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।

प्लांट के मुख्य द्वार समेत अन्य प्रवेशद्वारों पर डटे प्रदर्शनकारियों ने कर्मियों, ठेका मजदूरों और अधिकारियों को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। शुक्रवार सुबह कई कर्मियों के वाहनों पर पथराव भी हुआ, जिससे कई वाहनों के शीशे टूट गए। वहीं, कर्मियों की कमी के चलते बीएसएल के सभी प्रमुख यूनिट – ब्लास्ट फर्नेस, कोक ओवन, सिंटर प्लांट, स्टील मेल्टिंग शॉप (SMS) और हॉट स्ट्रिप मिल – पूरी तरह से बंद हो चुके हैं।

प्लांट के अंदर फंसे हैं 5000 से अधिक कर्मचारी

स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि बीएसएल परिसर के अंदर 5000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी पिछले 24 घंटों से भूखे-प्यासे फंसे हुए हैं। शुक्रवार देर शाम तक इन कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है।

थर्मो सेंसिटिव प्लांट होने के कारण खतरा और बढ़ा

बोकारो प्लांट बंद

बीएसएल प्रबंधन ने चेतावनी दी है कि संयंत्र एक थर्मो सेंसिटिव इकाई है, जहां गैस पाइपलाइनों का एक जटिल और संवेदनशील नेटवर्क है। आमतौर पर यह नेटवर्क 24 घंटे सख्त सुरक्षा मानकों के तहत संचालित होता है, लेकिन संयंत्र बंद होने से इन मानकों का पालन करना अब मुश्किल होता जा रहा है। प्रबंधन ने आशंका जताई है कि यदि यह स्थिति आगे भी जारी रही, तो गैस पाइपलाइन में रिसाव जैसी दुर्घटना से संयंत्र और शहर दोनों की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।

तेनु नहर को नुकसान, शहर में जल संकट की आशंका

वहीं, शुक्रवार देर रात आंदोलनकारियों ने तुपकाडीह के पास तेनु नहर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे बीएसएल और बोकारो शहर को जलापूर्ति ठप हो गई। हजारों गैलन पानी खेतों में बह गया। सूचना के बाद तेनुघाट बांध प्रमंडल ने नहर से पानी की आपूर्ति अस्थायी रूप से रोक दी है। इस वक्त संयंत्र में केवल कूलिंग पोंड का जमा हुआ पानी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जलापूर्ति शीघ्र बहाल नहीं हुई तो शहर को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

विस्थापितों का दावा-न्याय के लिए लड़ाई जारी रहेगी

उधर, आंदोलनकारी विस्थापित संगठनों का कहना है कि यह लड़ाई उनके अधिकारों और न्याय की है। प्रेम महतो की मौत और वर्षों से लंबित विस्थापन और रोजगार के मुद्दों को लेकर उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार और बीएसएल प्रबंधन ठोस समाधान नहीं पेश करते।

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में

पूरे मामले में जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जहां एक ओर संयंत्र के भीतर हजारों कर्मी फंसे हैं, वहीं शहर के सामान्य जनजीवन पर भी संकट मंडराने लगा है, लेकिन अब तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है।


बोकारो स्टील प्लांट जैसी भारी औद्योगिक इकाई का इस तरह पूरी तरह बंद होना न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से चिंता की बात है, बल्कि सुरक्षा और मानवाधिकार के लिहाज से भी बेहद गंभीर मसला बन गया है। जरूरत है कि सरकार, प्रशासन और प्रबंधन तत्काल हस्तक्षेप कर समाधान निकाले, ताकि स्थिति और न बिगड़े।

https://f24.in/bokaro-plant-closed-locals-protest

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