☀️
–°C
Fetching location…
🗓️ About Join Us Contact
☀️
–°C
Fetching location…

Updates

Categories

Join US

खूनी होली: भोयरे गांव में रंगों की जगह बरसते हैं पत्थर, जानिए क्यों?


सोलापुर: होली का त्योहार पूरे देश में रंगों, खुशियों और भाईचारे के रूप में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मोहोल तालुका के भोयरे गांव में यह त्योहार कुछ अलग अंदाज में मनाया जाता है। यहां रंगों की जगह खून बहता है और गुलाल उड़ाने की बजाय लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। इसे ‘खून की होली’ कहा जाता है, और गांववालों का मानना है कि इस अनूठी परंपरा से बारिश अच्छी होती है और देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भोयरे गांव में खूनी होली क्यों खेली जाती है?

भोयरे गांव की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। होली के दिन गांव के लोग दो गुटों में बंट जाते हैं। एक गुट गांव के मुख्य चौक में खड़ा होता है, जबकि दूसरा गुट ऊंचाई पर स्थित जगदंबा देवी मंदिर में जमा होता है। इसके बाद दोनों पक्ष एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। नीचे खड़े लोग अपने ऊपर गिरने वाले पत्थरों से बचने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में कई लोग घायल हो जाते हैं।

गांववालों का मानना है कि जितने अधिक लोग इस पत्थरबाजी में घायल होते हैं, उतनी ही अच्छी बारिश होती है। घायल व्यक्तियों को मंदिर ले जाया जाता है, जहां उनकी चोटों पर देवी का ‘भंडारा’ लगाया जाता है। स्थानीय विश्वास है कि देवी का भंडारा लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।

क्या सच में यह परंपरा खतरनाक है?

गांव के पूर्व सरपंच बालाजी साठे का कहना है,
“यह हमारी परंपरा है और हम इसे पूरे श्रद्धा के साथ निभाते हैं। हमारे पूर्वजों से हमें यह विरासत में मिली है और हम मानते हैं कि इससे गांव में सुख-समृद्धि आती है।”

वहीं, कुछ ग्रामीणों का मानना है कि यह प्रथा अब बदलनी चाहिए और इसे शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाना चाहिए।

खून की होली देखने उमड़ती है भीड़

भोयरे गांव की इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए हर साल आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। यह आयोजन अपने आप में आकर्षण का केंद्र बन चुका है, हालांकि, समय-समय पर इसे रोकने की मांग भी उठती रही है।

क्या भविष्य में बदलेगी यह परंपरा?

आधुनिक समय में जहां लोग नई परंपराओं को अपना रहे हैं, वहीं भोयरे गांव की ‘खून की होली’ को लेकर कई सवाल खड़े होते हैं। क्या यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी, या फिर गांववाले इसे किसी और तरीके से मनाने का निर्णय लेंगे? यह सवाल बना हुआ है। फिलहाल, गांव के लोग इसे आस्था और परंपरा से जोड़कर देखते हैं और हर साल पूरे जोश के साथ इस अनूठी होली का हिस्सा बनते हैं।

ये भी खबर पढ़ें:

https://f24.in/bhoyare-village-blood-holi

ये भी खबर पढ़ें:

ये भी खबर पढ़ें:

https://rajasthan.ndtv.in/rajasthan-news/pathar-mar-holi-played-in-dungarpur-rajasthan-more-than-30-people-injured-you-will-be-shocked-to-know-the-tradition-5308863/amp/1

पिछली खबर: गिरिडीह: होली जुलूस के दौरान दो गुटों में हिंसक झड़प, बढ़ा तनाव!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ताज़ा समाचार

और पढ़ें

प्रमुख समाचार