नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान ने एक बार फिर सीमा पर शांति की पहल की है। दोनों देशों के DGMO यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने हॉटलाइन पर बात करके सीजफायर पर सहमति जताई है। अब एलओसी (LoC) पर गोलियों की गूंज की जगह शांति की उम्मीद जग चुकी है। लेकिन सवाल यह है -DGMO आखिर होता कौन है? क्या काम करता है? और इस ताकतवर पद पर कौन-कैसे पहुंचता है?
DGMO: जो बनाता है युद्ध और शांति की रणनीति
DGMO भारतीय सेना का वो अधिकारी होता है, जो युद्ध, आतंकवाद या शांति मिशन—हर स्थिति में सेना का दिमाग होता है। ये पद लेफ्टिनेंट जनरल (3-स्टार ऑफिसर) को मिलता है, जो सीधे आर्मी चीफ को रिपोर्ट करता है। युद्ध क्षेत्र में क्या करना है? गोलीबारी कब रोकनी है? रणनीति कैसे बनानी है? ये सारे फैसले DGMO की टेबल से होकर गुजरते हैं।
DGMO का असली काम क्या होता है?
- LOC पर तनाव कम कराना
- आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन की प्लानिंग
- सेना, नेवी और एयरफोर्स में तालमेल
- सीक्रेट खुफिया जानकारी का विश्लेषण
- युद्ध जैसी स्थिति में तुरंत एक्शन लेना
हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, तो DGMO ने ही पाकिस्तानी DGMO से हॉटलाइन पर बात की और तनाव को संभाला।
DGMO कैसे बनते हैं?
यह कोई परीक्षा या सीधी भर्ती से नहीं होता। DGMO वही अफसर बन सकता है जिसने:
- NDA या NDC जैसी टॉप मिलिट्री ट्रेनिंग ली हो
- कोर कमांडर या नॉर्दर्न कमांड जैसी बड़ी ज़िम्मेदारियां संभाली हों
- ऑपरेशनल फील्ड में शानदार लीडरशिप दिखाई हो
इस पद के लिए सेना प्रमुख और रक्षा मंत्रालय मिलकर चयन करते हैं। कड़ी स्क्रीनिंग, अनुभव और रणनीतिक सोच ही इस कुर्सी तक पहुंचने का रास्ता तय करती है।
अभी DGMO कौन हैं?

लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा इस समय भारतीय सेना के DGMO हैं। 1 जुलाई 2023 को उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले वह खरगा कॉर्प्स की कमान संभाल चुके हैं और कई अहम ऑपरेशनों में शामिल रहे हैं।
कितनी होती है सैलरी?
DGMO यानी लेफ्टिनेंट जनरल की सैलरी 7वें वेतन आयोग के अनुसार:
- बेसिक पे: ₹1,82,200 से ₹2,24,100 प्रति माह
- कुल सैलरी (भत्तों समेत): ₹2.5 लाख से ₹3 लाख तक
- इसके साथ मिलता है घर, मेडिकल, वाहन और कई सुविधाएं
पाकिस्तान में DGMO कौन होता है?
पाकिस्तान में भी DGMO मेजर जनरल या लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का सीनियर अधिकारी होता है। यह पद पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी (PMA) से ट्रेनिंग लेने वाले अनुभवी अफसर को दिया जाता है। DGMO वहां भी सेना प्रमुख को रिपोर्ट करता है और LoC की निगरानी करता है।
क्यों है DGMO पद इतना अहम?
सीमा पर जब गोलियां चलती हैं, तब यही DGMO हॉटलाइन पर बात करके गोलीबारी रुकवाता है। युद्ध की स्थिति हो या शांति समझौता—DGMO हमेशा एक्शन में होता है। यही वजह है कि भारत-पाक सीजफायर जैसे फैसलों में इसकी भूमिका सबसे अहम होती है।
https://f24.in/bharat-pakistan-ceasefire-dgmo


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