हजारीबाग। एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की हत्या के बाद से झारखंड के कोयला खदानों में सन्नाटा पसरा हुआ है। सुरक्षा चिंताओं के चलते कोयला उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह ठप हो गया है, जिसका असर देशभर के 32 पावर प्लांटों पर पड़ रहा है। एनटीपीसी की हजारीबाग स्थित परियोजना से होने वाली कोयला आपूर्ति बंद होने के कारण इन पावर प्लांटों में ईंधन की भारी किल्लत हो सकती है।
हत्या के बाद संकट गहराया
शनिवार, 8 मार्च 2025 को हजारीबाग के फतहा चौक पर अपराधियों ने एनटीपीसी के डीजीएम कुमार गौरव की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना ने इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। इस हत्या के बाद से कर्मचारियों और मजदूरों में भारी आक्रोश और असुरक्षा की भावना देखी जा रही है, जिसके चलते एनटीपीसी की कोयला खदानों में कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है।
रॉयल्टी में हर दिन 7 करोड़ का नुकसान
कोयला उत्पादन बंद होने से झारखंड सरकार को रॉयल्टी मद में प्रति दिन करीब 7 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। अगर यह संकट लंबा खिंचता है तो राज्य के राजस्व पर और भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। तीन दिनों से बंद उत्पादन के कारण अब तक सरकार को 21 करोड़ रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हो चुका है।
पावर प्लांटों पर मंडराया बिजली संकट
एनटीपीसी की इस इकाई से देशभर के 32 पावर प्लांटों को कोयला भेजा जाता है। कोयला आपूर्ति बाधित होने के कारण कई बिजली संयंत्रों में उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो कुछ राज्यों में बिजली संकट भी उत्पन्न हो सकता है।
स्थिति का जायजा लेने पहुंचे एनटीपीसी निदेशक
एनटीपीसी के निदेशक शिवम श्रीवास्तव स्थिति का जायजा लेने के लिए हजारीबाग स्थित कंपनी के कार्यालय पहुंच चुके हैं। वे स्थानीय अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और कर्मचारियों से बातचीत कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य किया जा सके।
सुरक्षा व्यवस्था और जांच पर जोर
कुमार गौरव की हत्या की जांच जारी है और पुलिस अपराधियों की तलाश में जुटी हुई है। इस घटना के बाद से एनटीपीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन ने खदानों की सुरक्षा बढ़ाने और कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भरोसा दिया है।
फिलहाल, उत्पादन और ट्रांसपोर्टेशन शुरू करने के लिए प्रशासन और एनटीपीसी के अधिकारी हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लेकिन जब तक कर्मचारियों को पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, तब तक कोयला उत्पादन सुचारू होने में समय लग सकता है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि सरकार और प्रशासन इस संकट का समाधान कैसे निकालते हैं।
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