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तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण: 26/11 साजिशकर्ता भारत की गिरफ्त में, NIA करेगी गहन पूछताछ

Tahawwur Rana extradited to India 2025

नई दिल्ली। 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के एक प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार अमेरिका से भारत लाया जा रहा है। भारत सरकार की लंबी कानूनी लड़ाई और कूटनीतिक प्रयासों के बाद यह सफलता मिली है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष टीम अमेरिका पहुंच चुकी है और तमाम कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे भारत ला रही है। सूत्रों के अनुसार, राणा को दिल्ली लाकर तिहाड़ जेल में रखा जाएगा और उससे पूछताछ की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।

डेविड हेडली से 231 बार संपर्क, आठ बार भारत का दौरा

भारत सरकार के एक आधिकारिक दस्तावेज में खुलासा हुआ है कि तहव्वुर राणा ने हमले से पहले डेविड कोलमैन हेडली से करीब 231 बार संपर्क किया था। राणा ने भारत में आठ बार दौरा किया और कई जगहों की रेकी कर सूचनाएं इकट्ठा की। हमले से पहले उसके आखिरी दौरे में हेडली से 66 बार बातचीत हुई, जो आतंकी हमले की गंभीर तैयारी को दर्शाता है।

इंडिया गेट, नेशनल डिफेंस कॉलेज समेत कई ठिकानों को बनाया गया निशाना

NIA की जांच के अनुसार, राणा और हेडली ने दिल्ली स्थित इंडिया गेट, नेशनल डिफेंस कॉलेज और कई यहूदी केंद्रों पर भी हमले की योजना बनाई थी। यह पूरी साजिश केवल मुंबई तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य भारत के कई प्रतिष्ठित ठिकानों को दहला देना था। इस षड्यंत्र में हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी, साजिद मीर, मेजर इकबाल, और इलियास कश्मीरी जैसे कुख्यात आतंकियों की भी अहम भूमिका थी।

अमेरिका में राणा का नेटवर्क और ISI की भूमिका

अमेरिकी जांच में भी राणा की भूमिका स्पष्ट हुई है। शिकागो स्थित उसका ऑफिस First World Immigration Services आतंकियों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट का अड्डा बन चुका था। यहीं से उसने हेडली को भारत भेजने में मदद की। दस्तावेजों के मुताबिक, राणा पूर्व सैन्यकर्मी था, जो सेना से भाग चुका था। हेडली ने उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में लाकर, मेजर इकबाल से जुड़ने में मदद की।

प्रत्यर्पण में ‘डबल जियोपार्डी’ का तर्क नाकाम

राणा ने अमेरिका में ‘डबल जियोपार्डी’ का दावा करते हुए भारत प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की। उसका कहना था कि अमेरिका में जिन आरोपों में उसे सजा हुई है, वही आरोप भारत में भी लगाए जा रहे हैं। लेकिन अमेरिकी अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि भारत में दर्ज अपराध अलग हैं और नए आरोपों के तहत उसकी प्रत्यर्पणा हो सकती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत में राणा पर धोखाधड़ी, आतंकी मदद, और साजिश जैसे अलग आरोप हैं।

अमेरिका में किन आरोपों में हुई थी सजा?

2013 में अमेरिकी अदालत ने राणा को लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने और डेनमार्क स्थित अखबार ‘मोरगेनाविसेन जिलैंड्स-पोस्टेन’ के पत्रकारों की हत्या की साजिश में 14 साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस साजिश में पत्रकारों के सिर कलम कर उन्हें कोपेनहेगन की सड़कों पर फेंकने की योजना थी। यह वही अखबार था जिसने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापे थे।

अब क्या होगा भारत में?

राणा को भारत लाने के बाद एनआईए की विशेष टीम उससे पूछताछ करेगी। अधिकारी 26/11 की साजिश में शामिल ISI के अधिकारियों, स्थानीय मददगारों, और फंडिंग स्रोतों की जानकारी निकालने की कोशिश करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “राणा को तोड़ना आसान नहीं होगा। वह जानता है कि कैसे गुमराह करना है, इसलिए यह एक लंबी प्रक्रिया होगी।”

सूत्रों का कहना है कि राणा को खुले अदालत में पेश नहीं किया जाएगा। उसकी सुनवाई इन-कैमरा, यानी गुप्त रूप से की जाएगी ताकि सुरक्षा और संवेदनशील जानकारी की गोपनीयता बनी रहे।

तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण 26/11 के पीड़ितों और देश की न्याय व्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है। यह दर्शाता है कि भारत आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अब देश की नजरें NIA की उस गहन पूछताछ पर टिकी हैं, जिससे कई गुप्त परतें खुलने की संभावना है।

https://f24.in/tahawwur-rana-extradition

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