नई दिल्ली: वैश्विक व्यापार के समीकरणों में भूचाल लाने वाली अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर के बीच भारत एक संतुलित लेकिन निर्णायक रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। जहां चीन और अमेरिका खुली टकराव की मुद्रा में हैं, वहीं भारत कूटनीतिक समझदारी और व्यावसायिक चतुराई से अपने लिए एक नया अवसर गढ़ने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
भारत को मिल रहा है ‘फर्स्ट मूवर एडवांटेज’
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद उनकी टीम ने टैरिफ से जुड़े मुद्दों पर केवल भारत का दौरा किया है। यह दर्शाता है कि अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) को लेकर गंभीर है। भारत ने अभी तक चीन की तरह कोई जवाबी टैरिफ नहीं लगाया है, जिससे उसे ‘फर्स्ट मूवर एडवांटेज’ मिल रहा है। इसके जरिए भारत न सिर्फ अमेरिकी बाजार में अपनी पैठ मजबूत कर सकता है, बल्कि अपने निर्यातकों को स्थायी लाभ भी दिला सकता है।
चीन की जवाबी कार्रवाई और ट्रंप की प्रतिक्रिया

वहीं चीन ने अमेरिका पर 34 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाकर टकराव का रास्ता चुना है। इसका जवाब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपनी शैली में दिया। उन्होंने लिखा, “चीन घबरा गया है और गलत कदम उठा रहा है।” ट्रंप ने वैश्विक शेयर बाजारों की घबराहट को नकारते हुए कहा कि यह अमीर बनने का समय है और यह कदम अमेरिकी धरती पर मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करेगा।
भारत की संतुलित नीति और संभावनाएं
भारत की नीति आक्रामक नहीं, बल्कि संतुलित है। सरकार का मानना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ से Marine Products, Gems & Jewellery जैसे सेक्टर जरूर प्रभावित होंगे, लेकिन भारत नए बाजारों की तलाश में जुट चुका है। इसके अलावा, भारत उन देशों की सूची में भी शामिल है जिन्हें अमेरिकी प्रतिबंधों से फायदा मिल सकता है, क्योंकि चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे प्रतिस्पर्धी देशों पर अमेरिका ने कड़ा रुख अपनाया है।
सात देशों के साथ FTA की बातचीत तेज
सूत्रों के मुताबिक, भारत इस वक्त सात देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर गंभीर बातचीत कर रहा है। इनमें खाड़ी देशों के प्रमुख साझेदार Bahrain और Qatar भी शामिल हैं। यह रणनीति भारत को नए व्यापारिक साझेदारों के साथ जोड़ने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर निर्यात की निर्भरता को विविध बनाती है।
चीन और वियतनाम की ‘डंपिंग नीति’ पर नजर
सरकार ने संकेत दिया है कि अगर चीन और वियतनाम भारतीय बाजार में सस्ते उत्पादों की डंपिंग करते हैं, तो भारतीय एजेंसियां सतर्क और तैयार हैं। इसके लिए कस्टम्स मॉनिटरिंग, एंटी-डंपिंग जांच और घरेलू उद्योगों को संरक्षण जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
भारत की ‘स्मार्ट डिप्लोमेसी’
भारत ने इस बार व्यापार युद्ध की संभावित आग में घी डालने के बजाय, चुपचाप अपने लिए एक सुरक्षित और लाभदायक राह तैयार की है। यह रणनीति न सिर्फ ग्लोबल ट्रेड में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि आने वाले वर्षों में देश की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दे सकती है।
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