नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित अन्य देशों पर लगाए गए नए टैरिफ को लेकर भारत सरकार सतर्कता से अध्ययन कर रही है। सरकार का मानना है कि इस चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है और भारत अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए उचित रणनीति अपनाएगा।
भारत पर 27% टैरिफ और सरकार की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सभी देशों के आयातित सामानों पर 10% बेसलाइन टैरिफ और भारत पर 27% रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा की। इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और इसका व्यापक विश्लेषण शुरू किया।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम अमेरिकी नीति में आए इस बदलाव के प्रभावों की गहनता से समीक्षा कर रहे हैं। यह कोई बड़ा झटका नहीं है, बल्कि हम इसे एक रणनीतिक अवसर के रूप में देख रहे हैं। भारतीय निर्यातकों और उद्योग जगत के साथ विचार-विमर्श जारी है, ताकि एक ठोस कार्ययोजना तैयार की जा सके।”
अमेरिका से व्यापार वार्ता और ‘मिशन 500’
भारत और अमेरिका के बीच 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे ‘मिशन 500’ नाम दिया गया था। इस संदर्भ में दोनों देशों की व्यापारिक टीमों के बीच वार्ता जारी है। भारत सरकार अमेरिकी प्रशासन से संपर्क में है और टैरिफ नीति को लेकर बातचीत के जरिए समाधान निकालने की उम्मीद कर रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र के अनुसार, “भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं। हम इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अमेरिकी पक्ष से बातचीत कर रहे हैं। हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय उद्योगों को अनावश्यक आर्थिक नुकसान न हो।”
नए व्यापार अवसरों की तलाश
भारत सरकार इस टैरिफ नीति के बीच नए व्यापार अवसरों की भी तलाश कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के लिए घरेलू विनिर्माण और निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का अवसर हो सकता है।
भारतीय व्यापार संगठनों ने भी इस फैसले पर अपनी राय दी है। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (FIEO) के अध्यक्ष ने कहा, “टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पादों की लागत अमेरिका में बढ़ सकती है, लेकिन यह हमें आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत अपने उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता सुधारने का भी मौका देता है। सरकार को इस मौके पर नई व्यापारिक रणनीतियों को लागू करना चाहिए।”
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर तात्कालिक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह दीर्घकालिक साझेदारी को कमजोर नहीं करेगा। दोनों देशों के बीच सैन्य, प्रौद्योगिकी और निवेश जैसे कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग जारी रहेगा।
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस नए टैरिफ के प्रभावों का सावधानीपूर्वक अध्ययन कर रही है और इसे ‘आपदा में अवसर’ के रूप में लेने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ और गहन बातचीत की जाएगी। सरकार की रणनीति भारतीय उद्योग और निर्यातकों को बचाने और नए व्यापारिक अवसरों की पहचान करने की होगी।
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