रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) के तत्कालीन डीएसपी प्रदीप कुमार को निलंबित कर दिया है। उन पर एक विवाहित महिला से देर रात तक बातचीत करने और उसके पति को धमकाने का आरोप था, जिसकी जांच में पुष्टि होने के बाद यह कड़ी कार्रवाई की गई।
क्या है आरोप?
औरंगाबाद के एक युवक ने गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग और पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज करवाई थी कि डीएसपी प्रदीप कुमार उसकी पत्नी से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। युवक ने आरोप लगाया कि डीएसपी उसे पत्नी को छोड़ने के लिए दबाव डाल रहे थे और ऐसा न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे थे।
शिकायत में यह भी कहा गया कि डीएसपी ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे अपमानित किया और मानसिक प्रताड़ना दी।
जांच में क्या निकला?
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। जांच समिति की अध्यक्षता एडीजी (प्रशिक्षण) सुमन गुप्ता कर रही थीं, जबकि सीआईडी के आईजी असीम विक्रांत मिंज और रांची के तत्कालीन डीआईजी अनूप बिरथरे (वर्तमान में आईजी एसटीएफ) इसके सदस्य थे।
समिति ने शिकायत की गहराई से जांच की और पाया कि डीएसपी पर लगे आरोप सही हैं। इसके बाद जांच टीम ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की, जिस पर मुख्यमंत्री ने मुहर लगा दी और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
डीएसपी का बचाव-‘मुझे फंसाया गया’
हालांकि, निलंबन से पहले डीएसपी प्रदीप कुमार ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया था। उनका कहना था कि वह रांची के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में मोटिवेशनल स्पीच देने जाते थे और वहीं उनकी मुलाकात इस महिला से 2021 में हुई थी।
डीएसपी ने कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए साजिश रची गई और उनका उस युवक या उसकी पत्नी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन जांच में उनके दावों को गलत पाया गया, जिसके बाद सरकार ने अनुशासनहीनता और अनुचित आचरण के आधार पर उन पर कार्रवाई की।
क्या होगा आगे?
अब डीएसपी प्रदीप कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चलेगी, जिसमें उनकी सेवाओं पर आगे निर्णय लिया जाएगा। यह मामला झारखंड पुलिस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि एक वरिष्ठ अधिकारी पर लगे ऐसे गंभीर आरोपों ने पूरे विभाग की साख पर सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या कहती है सरकार?
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त रवैया अपनाए हुए हैं और भ्रष्टाचार या अनुचित आचरण में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार का कहना है कि किसी भी सरकारी अधिकारी से अनुशासनहीनता और पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डीएसपी प्रदीप कुमार का निलंबन झारखंड पुलिस प्रशासन में जवाबदेही और अनुशासन की ओर एक बड़ा संकेत है। इस कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि कानून लागू करने वाले अधिकारी खुद कानून तोड़ने पर कोई रियायत नहीं पाएंगे।
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