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देश के लिए सर्वोच्च बलिदान: LoC पर IED ब्लास्ट, झारखंड के वीर सपूत कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी शहीद

LoC पर IED ब्लास्ट झारखंड के वीर सपूत कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी शहीद

हजारीबाग,(झारखंड)। जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास पेट्रोलिंग के दौरान हुए आईईडी ब्लास्ट में देश ने एक और वीर योद्धा को खो दिया। झारखंड के हजारीबाग निवासी कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी (28 वर्ष) इस विस्फोट में शहीद हो गए। उनके साथ सेना के एक अन्य जवान ने भी बलिदान दिया, जबकि एक सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गया।

शादी की खुशियों के बीच मातम में बदला माहौल

कैप्टन करमजीत की शादी 6 अप्रैल को तय थी। उनकी मंगेतर आर्मी में मेडिकल ऑफिसर हैं और उनके पिता भी सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। घर में शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। कुछ ही दिन पहले वे हजारीबाग लौटे थे और विवाह की तैयारियों के लिए होटल आदि की बुकिंग कर रहे थे। घर में रिनोवेशन का काम चल रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

देश की सेवा में हो गए अमर

कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी के पिता अजिंदर सिंह बख्शी शहर के एक प्रतिष्ठित होटल व्यवसायी हैं, जबकि मां नीलू बख्शी एक गृहिणी हैं। संत जेवियर स्कूल, हजारीबाग से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने डलहौजी स्कूल से प्लस टू और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। देशसेवा की भावना से ओत-प्रोत करमजीत ने भारतीय सेना जॉइन की और कैप्टन के पद तक पहुंचे।

शहादत की खबर से परिवार सदमे में

शहीद कैप्टन करमजीत के बलिदान की खबर से परिवार और पूरे हजारीबाग में शोक की लहर दौड़ गई। खासकर, उनकी मां नीलू बख्शी और पिता अजिंदर सिंह बख्शी गहरे सदमे में हैं। इस दौरान उनकी नानी की तबीयत भी खराब थी, जिसके चलते माता-पिता प्रयागराज जा रहे थे। लेकिन रास्ते में ही बेटे की शहादत की सूचना मिली, जिससे वे तुरंत लौट आए।

हजारीबाग पहुंचेगा पार्थिव शरीर

सेना की ओर से शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी का पार्थिव शरीर बुधवार को हजारीबाग लाया जाएगा। उनके घर जुलू पार्क स्थित आवास पर शोक का माहौल बना हुआ है। इंटरनेट मीडिया पर भी हजारों लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी शहादत पर गहरा दुख व्यक्त किया।

हजारीबाग के अमर सपूत की बहादुरी को हमेशा याद किया जायेगा

कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनका बलिदान न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे हजारीबाग और देश के लिए गौरव और प्रेरणा का प्रतीक बना रहेगा।

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